Thursday, June 23, 2011

झोका

सुन मेरी जान,
थोड़ा सा संभल,
क्यों है इतनी बेचैन!
जरा सा तो सब्र रख,
बस झोका है हवा का,
गुजर जायेगा !

बह मत जाना इसके संग,
सो मत जाना होकर तंग!
फिर इंतिहा की घड़ी आ गई है!
झोके से लौ टकरा गई है!
बुझ मत जाना चाहे जो हो!
जरा सा तो सब्र रख,
बस झोका है हवा का,
गुजर जायेगा !

कितने झोके आकर गए हैं,
पर तुझे कहा वो मिटा सके हैं!
फिर क्यों काँप जाती है,
इनकी आहट सुनकर?
जरा सा तो सब्र रख,
बस झोका है हवा का,
गुजर जायेगा !

मुस्कुरा तो दे मेरी जान,
इस बार झोके को देख!
अपने आप इसका दम निकल जाएगा!
तुझमे तो है हिम्मत तुफा से निकल जाने की,
झोके ने कैसे तेरी आँखें भर दी!
जरा सा तो सब्र रख,
बस झोका है हवा का,
गुजर जायेगा !

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