Sunday, February 24, 2013

ज़िन्दगी

ये सब तो चलता रहेगा
कभी ख़ुशी की धूप होगी
कभी दुःख का अँधेरा होगा
इन दोनों के बीच में,
पानी सा इंसान बहता रहेगा !

कभी लगालेगा  कोई  प्यार  से  गले
कभी कोई  नफरत  से  झटक देगा
है नहीं  कोई दुश्मन तुम्हारा यहाँ
पर दोस्तों की गिनती भी कम है
ये दोस्ती-दुश्मनी का सिलसिला,
बनता बिगड़ता रहेगा !

कभी जीत का सेहरा होगा
कभी हार का शिकवा होगा
न जीत का जश्न लम्बा होता है
न हार का दाग गहरा रहता  है
ये कोई नई बात तो नहीं,
जीत-हार का खेल तो,
जब तक  है चलता रहेगा !

तुम चाहों या न चाहों,
इन सबसे  गुज़रना होगा

ये ज़िन्दगी न मेरी है
ये ज़िन्दगी न तेरी  है

ये तो जैसी है बस वैसी है
उसे वैसे ही स्वीकार करना होगा !


No comments:

Post a Comment